म्यांमार में सैन्य तानाशाही ने देश का बेड़ा ग़र्क कर रखा है। सैन्य शासन ने आपातकाल समाप्ति की नई नौटंकी शुरू की, लेकिन बाद में चौदह में से नौ राज्यों में फिर से मार्शल लॉ लागू कर दिया। म्यांमार में चुनाव से पहले सैन्य तानाशाह ने कुछ इलाकों में आपातकाल समाप्त किया है।
म्यांमार के सैन्य शासन ने देश के 5 राज्यों में आपातकाल हटा दिया है। यह 2021 के तख्तापलट के बाद से लागू था। यह कदम इस साल के अंत में होने वाले चुनावों की तैयारी के लिए उठाया गया है। हालांकि इस फैसले के तुरंत बाद, सरकार ने देश के 14 क्षेत्रों और राज्यों में से 9 में मार्शल लॉ और आपातकाल की घोषणा कर दी है, जिससे सत्ता पर सेना की पकड़ और मजबूत हो गई है।
चुनाव और सत्ता हस्तांतरण का नाटक
सैन्य शासक मिन आंग हलिंग ने 2021 में आंग सान सू की की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अपदस्थ कर दिया था। हलिंग ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें आपातकालीन शासन को समाप्त कर दिया गया। लेकिन वह खुद कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पद पर हैं और यह तय करने की शक्ति रखते हैं कि चुनाव कब और कैसे होंगे। उन्होंने एक 30-सदस्यों की यूनियन सरकार का भी गठन किया है और अपने सहयोगी न्यो सॉ को प्रधान मंत्री नियुक्त किया है।
हलिंग ने एक सरकारी समारोह में कहा कि देश “दूसरे अध्याय” में प्रवेश कर रहा है और दावा किया कि अगर इसे “अच्छी तरह से” लिखा गया, तो वे और भी चुनौतियों से पार पा लेंगे। हालांकि, पश्चिमी देशों और विपक्ष ने इन चुनावों को खारिज कर दिया है, क्योंकि वे इसे सेना के शासन को वैधता देने का एक तरीका मानते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव और आर्थिक चुनौतियाँ
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब म्यांमार की सेना एक गिरती हुई अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र समर्थक सशस्त्र समूहों से बढ़ते प्रतिरोध का सामना कर रही है। अमेरिका ने म्यांमार पर 40% का भारी टैरिफ लगाया है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और खराब होने की आशंका है। अमेरिका का म्यांमार पर 40% टैरिफ सीरिया के बाद दूसरा सबसे अधिक कर है। पिछले साल अमेरिका और म्यांमार के बीच व्यापार 73.4 करोड़ डॉलर था।
इसके अलावा, अमेरिका और अन्य देशों ने म्यांमार पर “स्कैम कंपाउंड्स” को शरण देने का आरोप लगाया है, जिन्हें क्रिप्टो अपराध सिंडिकेट द्वारा चलाया जाता है और इसमें मानव तस्करी से लाए गए लोगों का इस्तेमाल होता है।
गौरतलब है कि मिन आंग हलिंग ने 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के धोखाधड़ी के झूठे दावों से अपनी तुलना की थी। उन्होंने ट्रंप को लिखे एक पत्र में कहा था कि दोनों नेता “धांधली वाले वोटों” के शिकार थे।
विपक्ष का बहिष्कार और संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
आंग सान सू की, जो 2020 के चुनाव में भारी बहुमत से जीती थीं, जओ जेल में हैं। उनके दल के अन्य शीर्ष नेता भी बंद हैं। विपक्षी समूहों ने इन चुनावों का पूरी तरह से बहिष्कार करने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने इन चुनावों को “धोखाधड़ी” करार दिया है, जिसका उद्देश्य सेना के लगातार शासन को मजबूत करना है।
सैन्य शासन हटाने की घोषणा सैन्य प्रवक्ता ज़ॉ मिन टुन ने की। सूकी के इस तख्तापलट के बाद एक गृहयुद्ध शुरू हो गया था, जिसमें अब तक हजारों लोग मारे गए हैं।
ज़ाओ मिन टुन ने कहा कि “देश में बहुदलीय लोकतंत्र की राह पर चुनाव कराने के लिए आज आपातकाल समाप्त कर दिया गया है,”। हालांकि, इसके कुछ ही घंटों बाद, म्यांमार के सरकारी टीवी ने घोषणा की कि सशस्त्र हिंसा और विद्रोह की चिंताओं के कारण देश के 14 क्षेत्रों और राज्यों में से नौ में मार्शल लॉ और आपातकाल लगाया जाएगा।
ज़ाओ मिन टुन ने यह भी कहा कि “छह महीने के भीतर चुनाव होंगे”। राज्य प्रसारक एमआरटीवी ने बताया कि सुरक्षा चिंताओं के कारण ये चुनाव दिसंबर और जनवरी में होंगे।
मिन आंग हलिंग, जिन पर मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यक के खिलाफ कथित अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में मुकदमा चलाया जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि इन चुनावों के बावजूद, मिन आंग हलिंग संभवतः राष्ट्रपति या सशस्त्र बलों के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका बनाए रखेंगे और अपनी शक्ति को मजबूत करेंगे। विपक्षी समूहों ने इन चुनावों का विरोध करने की कसम खाई है, और संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने इसे “एक धोखाधड़ी” बताया है, जिसका उद्देश्य सेना के शासन को वैधता देना है।