New parliament Bulding Inauguration

New parliament Bulding Inauguration : नए संसद भवन के उद्घाटन में कौन कौन से दल शामिल हो रहे हैं, और कौन से दल शामिल नहीं होंगे

संसद भवन के उद्घाटन (New parliament Bulding Inauguration ) को भी नरेंद्र मोदी सरकार ने बवाल का इवेंट बना दिया है. इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस छिड़ गई है. साथ ही विभिन्न दलों के समर्थक भी अपने आकाओं के पक्ष में तलवार भांज रहे हैं. हालांकि यह पूरी तरह अनुत्पादक और फालतू काम है कि उद्घाटन को लेकर जंग लड़ी जाए. लेकिन मोदी के नोटबंदी, हिंदू मुस्लिम सहित तमाम इस तरह के फालतू बहसों में एक बहस यह भी है….

नए संसद भवन के उद्घाटन (New parliament Bulding Inauguration) में राष्ट्रपति को शामिल न किए जाने और खुद प्रधानमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किए जाने को विपक्षी दलों ने लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. साथ ही विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान किया है.

कौन कौन से दल कर रहे हैं नई संसद के उद्घाटन का बहिष्कार

विपक्ष के 20 दलों ने संसद के नये भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का ऐलान किया है. 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करने वाले हैं, और विपक्षी दलों ने 24 मई 2023 को कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) झारखंड मुक्ति मोर्चा, नैशनल कान्फ्रेंस, आईयूएमएल, केसीएम, आरएसपी, वीसीके, एमडीएमके, राष्ट्रीय लोकदल इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, जिन्होंने संयुक्त बयान जारी किया है. साथ ही एआईएमआईएम भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी. तेलंगाना राष्ट्र समिति ने भी इस तरह के संकेत दिए हैं. इन्होंने इस सिलसिले में लिखित बयान जारी किया है.

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कौन कौन से दल नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम में होंगे शामिल

भारतीय जनता पार्टी, उनके सहयोगी अपना दल, निषाद पार्टी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, कोनराड संगमा की नैशनल पीपुल्स पार्टी, सिक्किम के प्रेम सिंह तमांग के सिक्किम क्रांतिकारी मोर्टा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेईफिऊ रियो की नैशनलिस्ट प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा के मिजो नैशनल फ्रंट, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुश्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी, रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया, पशुपति कुमार पारस की एलजेपी, एआईएडीएमके, जीके वासन की तमिल मनीला कांग्रेस, देवनाथन की आईएमकेएमके, सुदेश महतो की आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू)  सहित 17 दलों ने नई संसद के उद्घाटन में शामिल होने का ऐलान किया है. इनमें बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी भी शामिल हैं.

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विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध

विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है. समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखने का ‘अशोभनीय कृत्य’ ‘‘सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान’’ और लोकतंत्र पर सीधा हमला है.

विपक्ष के 19 दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर आरोप लगाया कि राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नये संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल राष्ट्रपति का घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है.  विपक्ष का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि “संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा के रूप में जाना जाएगा।” विपक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, सत्रावसान करते हैं और साल के प्रथम सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं. राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के बिना नये संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया

इन विपक्षी दलों ने कहा कि मोदी का ‘अशोभनीय कृत्य’ सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान करता है. यह संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है. विपक्ष का कहना है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निकाल दिया गया है, तो हमें नई इमारत का कोई महत्व नहीं दिखता. विपक्ष ने कहा कि हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे, और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.

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सरकार ने क्या कहा

वहीं दूसरी तरफ सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है और वे “अपने विवेक के अनुसार फैसला करेंगे”. शाह ने कहा कि कार्यक्रम को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष से अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. जोशी ने कहा कि बहिष्कार करना और अनावश्यक मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है. जोशी ने कहा कि मैं विपक्ष से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं.

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 24 अक्टूबर 1975 को संसदीय सौध का उद्घाटन किया था जबकि उनके उत्तराधिकारी राजीव गांधी ने 15 अगस्त 1987 को संसद के पुस्तकालय की आधारशिला रखी थी. नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा रिकॉर्ड समय में एक नया संसद भवन बनाया गया है, पिछली सरकारों में भी आपने ऐसे प्रधानमंत्रियों को देखा है, जिन्होंने पहले या तो उद्घाटन किया है या आधारशिला रखी है.

 

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