oxfam report 2023

Oxfam report 2023 : भारत में सीईओ 4 घंटे में जितना कमाते हैं, उतना कमाने में एक सामान्य कर्मचारी को एक साल लग जाता है

Oxfam report 2023 के मुताबिक कंपनियों ने अपने सीईओ और शेयरधारकों के वेतन तो खूब बढ़ाए हैं, लेकिन सामान्य कर्मचारियों का जीना हराम कर दिया.

प्रीति सिंह

क्या आपको पता है कि भारत में प्राइवेट नौकरी करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन में कितना अंतर है? Oxfam report 2023 के मुताबिक भारत का एक सीईओ 4 घंटे में जितना कमाता है, उसी फैक्टरी में काम करने वाले सामान्य कर्मचारी को उतना कमाने में एक साल लगते हैं. यह खाईं अमेरिका में और ज्यादा है. अमेरिका में एक साल में एक सीईओ जितना कमाता है, उतना कमाने में अमेरिका के एक सामान्य कर्मचारी को 413 साल लग जाएंगे. महिलाओं की दुर्दशा और ज्यादा है, जिन्हें 2022 में 4.6 लाख घंटे मुफ्त में काम करना पड़ा है.

Oxfam report 2023 में कहा गया है कि भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के कर्मचारियों ने 2022 में औसतन 6 दिन मुफ्त में काम किया है, क्योंकि जितनी महंगाई बढ़ी है, उसके मुताबिक उनका वेतन नहीं बढ़ा है. इस हिसाब से इन 4 देशों में कर्मचारियों का वेतन बढ़ने के बजाय 3.19 प्रतिशत कम हो गया है. वहीं कंपनी के मालिकानों के करीब रहने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) का वेतन औसतन 9.5 प्रतिशत बढ़ा है. अगर महंगाई दर का समायोजन न करें तो सीईओ का वेतन 16 प्रतिशत बढ़ा है.

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अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस यानी 1 मई को ऑक्सफैम इंटरनैशनल की ओर से जारी रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आए हैं.

ऑक्सफैम ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया है. इसमें कहा गया है कि 50 देशों में एक अरब कामगारों के वेतन में 2022 में 68.5 डॉलर की औसत कटौती की गई है. विश्लेषण में कहा गया है कि अगर वेतन में बढ़ोतरी महंगाई के अनुसार की गई होती तो उसकी तुलना में वास्तविक वेतन में यह नुकसान 74.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है.

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महिलाओं की ज्यादा दुर्दशा

Oxfam report 2023 के मुताबिक महिलाओं और लड़कियों को हर साल 4.6 लाख घंटे मुफ्त देखभाल के काम पर खर्च करना पड़ता है. महिलाएं और लड़कियां हर महीने 380 अरब घंटे देखभाल के काम पर खर्च करती हैं, जिनको कोई भुगतान नहीं किया जाता है. महिला कर्मचारियों को प्रायः कम घंटे काम मिल पाता है. काम के बदले पैसे नहीं मिलने के कारण महिलाएं ऐसे काम अधिक समय तक काम नहीं कर पाती हैं जिनके लिए उन्हें भुगतान किया जाता है. कभी-कभी वे नौकरी से बाहर निकलने पर विवश हो जाती हैं.

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महिलाओं से लैंगिक भेदभाव

Oxfam report 2023 का कहना है कि महिलाओं को न सिर्फ काम के बदले पैसे नहीं मिलते या मुफ्त में काम करना पड़ता है, बल्कि उन्हें लैंगिक भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महिलाओं को लैंगिक भेदभाव, उत्पीड़न और समान काम के लिए कम वेतन मिलने जैसे संकट से गुजरना होता है.’

साल भर की कमाई 4 घंटे में

ऑक्सफैम इंटरनैशनल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक एग्जुक्यूटिव महज 4 घंटे में इतने पैसे कमा लेता है, जितना पाने के लिए एक औसत कर्मचारी को एक साल तक काम करना पड़ता है. Oxfam report 2023 के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले शीर्ष एग्जुक्यूटिव्स को पिछले साल औसतन 10 लाख डॉलर मिले हैं, और महंगाई के समायोजन के बाद 2021 की तुलना में उनकी सेलरी 2 प्रतिशत बढ़ी है.

अमेरिका में भयानक स्थिति

ऑक्सफैम इंटरनैशनल की Oxfam report 2023 के मुताबिक अमेरिका में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले 100 सीईओ को 2022 में औसतन 240 लाख डॉलर मिले हैं. महंगाई को समायोजित करने के बाद उनकी सेलरी 2021 की तुलना में 15 प्रतिशत बढ़ी है. अमेरिका में एक सीईओ की एक साल में जितनी कमाई होती है, एक सामान्य कर्मचारी को उतना कमाने में 413 साल लग जाएंगे. वहीं महिलाओं को एक घंटे के महज 15 डॉलर मिलते हैं.

ब्रिटेन में स्थिति थोड़ी कम भयानक

ब्रिटेन में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले 100 सीईओ को 2022 में औसतन 50 लाख डॉलर भुगतान किया गया है. उनका वेतन 4.4 प्रतिशत बढ़ा है. वे सामान्य कर्मचारियों से 140 गुना ज्यादा वेतन पाते हैं.

अफ्रीका में स्थिति

Oxfam report 2023 के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में शीर्ष एग्जुक्यूटिव को 2022 में सालाना 8 लाख डॉलर मिले. उनका वेतन सामान्य कर्मचारियों से 43 गुना ज्यादा रहा है.

ऑक्सफैम इंटरनैशनल के अंतरिम कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने कहा, ‘कंपनियों के शीर्ष पदाधिकारी हमसे कह रहे हैं कि हमें वेतन कम रखने की जरूरत है, जबकि वे खुद को और अपने शेयरधारकों को भारी मात्रा में भुगतान कर रहे हैं. ज्यादातर लोगों को इतने कम पैसे दिए जा रहे हैं कि उन्हें जिंदगी चलानी मुश्किल हो रही है. ट्रेड यूनियनों पर वर्षों से चल रहे हमले की वजह से अमीर लोगों और शेष कामगारों के बीच खाईं बहुत चौड़ी हो गई है.’

उन्होंने कहा कि ऐसे काम जरूर बढ़े हैं जिनके लिए किसी तरह का भुगतान नहीं दिया जाता है. बेहर ने कहा, ‘इस मामले में महिलाओं  की दुर्दशा ज्यादा है. महिलाएं घरों में बहुत कठिन और महत्त्वपूर्ण काम करती हैं और इसके बदले उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता है.’

विश्लेषण में कहा गया है कि 2021 की तुलना में शेयरधारकों को होने वाले भुगतान में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. शेयरधारकों को 2022 में 1.56 लाख करोड़ डॉलर का भुगतान किया गया.

ऑक्सफैम को इस असमानता को दूर करने का एक तरीका यह लगता है कि अमीर लोगों पर कर बढ़ाया जाए. बेहर ने कहा कि वेतन में भारी असमानता को दूर करने के लिए 1 प्रतिशत धनाढ्य लोगों पर स्थायी तौर पर कर बढ़ाने की जरूरत है. सरकार को न्यूनतम वेतन में महंगाई के अनुसार कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी सुनिश्चित करनी चाहिए. साथ ही ऑक्सफैम इंटरनैशनल ने  संघ बनाने, हड़ताल करने और वेतन को लेकर बातचीत करने का अवसर देने का पक्ष लिया है.

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