आप लाल किले से भारत को बुद्ध की धरती कहें या प्रेमिका की बाहों से, शांति तभी मिलेगी जब बुद्धिज्म अपनाएंगे : धम्मपद-9

बुद्धिज्म अपनाने के लिए कुछ शील पर प्रतिज्ञाएं बताई गई हैं, उसका पालन करने पर ही जीवन में शांति आ सकती है। बुद्धिज्म जीने की एक कला है। एक जीवन पद्धति है। कुछ ऐसे आचरण अपनाने पड़ते हैं, जिससे आप बुद्ध होते हैं, आप व्यापक होते हैं। बता रहे हैंRead More →

कोई पाप कर रहा है और सुखी है यह सोचकर अगर आप विलाप करते हैं तो आप आंतरिक रूप से ईमानदार नहीं

अक्सर लोग यह कहते हुए रोते रहते हैं कि फलाना बाबा दूसरों को त्याग सिखाते हैं, खुद महंगी कार से घूमते हैं। हमारी जिंदगी कितनी सच्ची है, इसलिए दुखी रहना पड़ता है। ऐसे लोग आंतरिक रूप से ईमानदार नहीं होते। अच्छा कर्म हर हाल में, हर परिस्थिति में सुख देताRead More →

हमारा शरीर ऐसा है कि अगर आपने सोच लिया कि हमको कांस्टीपेशन है तो कांस्टीपेशन हो जाएगा। आप कमोड पर घण्टे भर बैठे रहेंगे, उतरेगी ही नहीं। मैं जब 10-12 साल पहले तम्बाकू खाता था तो एक आदत पड़ गई थी कि बगैर तम्बाकू खाए खुलासा होता ही नहीं था।Read More →

जो व्यक्ति अच्छे कर्म नहीं करता है वह सबसे पहले अपनी ही नजरों मे गिर जाता है : धम्मपद-7

आप अपने कर्मों के मालिक खुद हैं। आप जो भी करते हैं, उसका परिणाम आता है। ऐसा संभव नहीं है कि आप जो कर्म करते हैं, उसका कोई परिणाम न आए। ऐसे में बेहतर कर्म ही आपको सुख की ओर ले जा सकते हैं। खराब कर्म अपनी आत्मा को मारRead More →

अगर आप अपने ज्ञान, अनुभव और विवेकशीलता से निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं तो राग का असर आपके ऊपर नहीं पड़ेगा। बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस… राजनीति और इसकी हलचलें बहुत गड़बड़ चीजें हैं। यह अगर आपके दिमाग मे घुस जाएं तो बहुत जबरदस्त केमिकल लोचा पैदा करती हैं।Read More →

विश्व में हर कोई दुख से मुक्ति पाना चाहता है, जिसे दुःख है। यह स्वाभाविक सी इच्छा है कि दुःखों से मुक्ति मिलनी चाहिए। अब इसमें सबसे बड़ी समस्या होती है कि दुःख की पहचान कैसे की जाए? जब भी आप किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाते हैं तो वहRead More →

भगवा क्या है? भारत मे भगवा का क्या महत्त्व रहा है? इस ड्रेस कोड को लेकर भारत मे स्वाभाविक रूप से श्रद्धा क्यों उपजती है?  भगवा के पीछे त्याग, परोपकार, दया करुणा, सद्भाव का लंबा इतिहास बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस….. हर साल कांवड़ियों की हुड़दंगई को लेकर चर्चा होतीRead More →

भारत की तमाम जातियां हिन्दू/सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था से बाहर हैं। इनमें ओबीसी कही जाने वाली 90% जातियां हैं। इन जातियों को पता ही नहीं है कि वह किस वर्ण में हैं? ये जातियां अपने को ब्राह्मण या क्षत्रिय होने का दावा करती हैं तो ब्राह्मण और क्षत्रिय मिलकरRead More →

अल्मोड़ा का भारतीय बैडमिंटन के मौजूदा स्वरूप और चन्द्रलाल का गहरा रिश्ता है। चन्द्रलाल की बैडमिंटन की दीवानगी का रंग अब उनकी तीसरी पीढ़ी 2024 के ओलंपिक में दिखा रही है। बता रहे हैं अशोक पांडे….. अल्मोड़ा से कौसानी के रास्ते में एक अधसोया सा कस्बा है सोमेश्वर. इसी सोमेश्वरRead More →

भारत की मनु भाकर को कांस्य पदक जीतने पर खुशी का माहौल है। वहीं ओलंपिक के शुरुआती इतिहास में महिलाओं को ओलंपिक में एंट्री पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था,बता रहे हैं अशोक पांडे 1896 के साल ओलिम्पिक्स की आधिकारिक शुरुआत करने वाला फ्रेंच शिक्षाशास्त्री और इतिहासकार पीयर द’कूबेर्तांRead More →