कामनाएं इच्छाएं सोच सबकुछ बदलती रहती हैं यह सब मन से पैदा हुई चीजें हैं धम्म पद-1

सत्येन्द्र पीएस जिंदगी भी बड़ी अजीब है। 15 साल पहले यह फील होता था कि इस पद पर होते, इतनी सेलरी मिलती तो बस मज़ा ही आ जाता। सपने होते थे। अब लगता है कि क्या है यह सब? घण्टा हो गया? क्या मिल गया? यही पाने के लिए व्याकुलRead More →

अपनी चोरी अच्छी और दूसरे की चोरी अन्याय लगती हो तो आप अपने भीतर के बोध की हत्या कर चुके हैं

सत्येन्द्र पीएस एक मेरे परिचित भाई साहब रोजाना कांग्रेस को गरियाते थे। वह कांग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों के प्रति बहुत ही निष्ठुर थे। संभवतः अभी भी होंगे। वह राष्ट्रीय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से बहुत प्रभावित थे। आरएसएस-भाजपा के अलावा वह हर किसी को चोर मानते थे।Read More →

जलाशय की तरह पवित्र और गहरे बन जाइए यही सुख का मार्ग है

कल से ही मोहल्ले में हुआ एक हादसा घूम रहा है दिमाग में। एक अग्रवाल फेमिली है जो जयपुर जा रही थी किसी पारिवारिक उत्सव में शामिल होने। बस का एक्सीडेंट हुआ। पति पत्नी और 15 साल का बेटा उस एक्सीडेंट में मर गए। इंटर में पढ़ने वाली एक बेटीRead More →

जलाशय की तरह पवित्र और गहरे बन जाइए यही सुख का मार्ग है

सत्येन्द्र पीएस कई साथियों ने जानने की कोशिश की और कहा कि आप बुद्धिज्म के वज्रयान या तंत्रयान के बारे में बताएं। तंत्रयान के बारे में बताने के लिए मैं बहुत छोटा आदमी हूँ। उस फील्ड में मेरी कोई प्रैक्टिस नहीं है। इधर उधर से पाया ज्ञान ही दे सकताRead More →

विश्वजीत सिंह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के एक सीनियर साइंटिस्ट विजय श्रीवास्तव सर से एक बार मेरा डिस्कसन हो रहा था, उन्होंने कहा कि उनके पास खेती होती तो नौकरी छोड़ दिये होते, आगे उन्होंने मुझे सलाह देते हुए कहा कि: ” यदि आपके पास खेती हो तो अधिक दिनRead More →

धर्म रस का पान करने वाला प्रसन्न चित्त से सुखपूर्वक सोता है पण्डित बुद्ध के उपदिष्ट धर्म में सदा रमण करता है

धर्म रस का पान करने वाला प्रसन्न चित्त से सुखपूर्वक सोता है, पण्डित बुद्ध के उपदिष्ट धर्म में सदा रमण करता है। नहर वाले पानी को ले जाते हैं, बाण बनाने वाले बाण को ठीक करते हैं, बढ़ई लकड़ी को ठीक करते हैं और पण्डितजन अपना दमन करते हैं। जैसे ठोस पहाड़Read More →

आप जो सोचते हैं वैसा ही काम करते हैं

आप जो सोचते हैं, वैसा ही काम करते हैं। और जिस चीज के बारे में बड़ी गम्भीरता से सोचते हैं, वह आपके दिमाग मे चलने लगता है। आपका वह विचार आपका मस्तिष्क कई गुना बढ़ाता है। आप सोचते जाते हैं और फिर ख्वाबो की दुनिया मे डूबते जाते हैं। आपRead More →

भगवान कृष्ण की रासलीला पर लिखित ग्रंथ गीतगोविंदम् के पहले सर्ग में चुंबनों की भरमार

चुंबन या चुम्मा लेना बहुत आम है. यह प्रेमी-प्रेमिका के बीच विशिष्ट स्थान रखता ही है और इसकी वजह से सेक्स सिंड्रोम जाग जाते हैं. वहीं बाप-बेटे, मां बेटे का भी चुंबन अहम है. बच्चे जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं, चुंबन की प्रक्रिया कम और खत्म होती जाती है.Read More →

नाचना गाना नैचुरल है महिलाओं पर न थोपें अपने कुंठा वाले नियम

नाचना, गाना, हंसना, मुस्कुराना, दूसरे के प्रति सद्भाव रखना प्राकृतिक है. मनुष्यों ने कई पीढ़ियों से नियम कानून बनाना शुरू किया. उन्हें आने वाली और अपने लोगों पर थोपना शुरू किया. लेकिन मनुष्य की मूल प्रवृत्ति हजारों साल से नहीं बदली और वह यथावत बनी हुई है. ऐसे में प्रकृतिRead More →

क्या बुद्धिज्म के अहिंसा के प्रचार के चलते भारत गुलाम बना?

अक्सर यह सवाल उठते हैं कि भारत में बुद्धिज्म के कारण लोग अहिंसक और शांतिप्रिय हो गए, जिसका फायदा विदेशी आक्रांताओं ने उठाया और भारत को लंबे समय तक गुलाम रहना पड़ा. वहीं बुद्धिज्म में वैश्विक कल्याण के फैसले करते समय हमेशा बुद्धि विवेक के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी गईRead More →