सेक्स और भोजन की तलाश में घूमता है मनुष्य

सदियों से मनुष्य भोजन और सेक्स के इर्द गिर्द ही घूम रहा है. तमाम वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद हर मनुष्य के केंद्र में यही दो चीजें हैं. जब इससे थोड़ी सी संतुष्टि मिल जाती है तो वह अन्य चीजों की तरफ सोच पाता है. इन जरूरतों को पूरा करना सहजRead More →

वैज्ञानिक प्रगति

धर्म और विज्ञान को लेकर तरह तरह का रायता फैलता है। ईश्वरवाद, अनीश्वरवाद, नास्तिकवाद तो है ही। सैकड़ों तरह के और भी वाद हैं, गांधीवाद, गोडसेवाद, सावरकरवाद, लोहियावाद, मार्क्सवाद, हीगलवाद, माओवाद, लेनिनवाद आदि आदि। मुझे सारे वाद आयुर्वेद के मुताबिक कब्जियत जैसे लगते हैं और अगर कोई वादी हो गयाRead More →

धर्म को यूरोप की चर्च के माध्यम से समझेंगे तो बड़ी दिक्कत होगी

धरती सूर्य का चक्कर लगाती है, यह कहने पर1633 ईसवी में गैलीलियो को सजा दी गई। यह सब बेवकूफियां यूरोप में ही हुई हैं। भारत में कभी किसी को न तो जेल में डाला न किसी को उत्पीड़ित किया गया इस सबके लिए। जब यूरोप में यह सब बेवकूफियां चलRead More →

मनुष्य क्या पाने के लिए व्याकुल है भाग रहा है उसे खुद पता नहीं होता

सत्येन्द्र पीएस  आजकल मन में अजीब अजीब ख्याल आते हैं। मैं जहां नौकरी करता हूँ, ऑफिस के पीछे बड़ा सा कब्रिस्तान है। पहले वह बाहर से नहीं दिखता था, अभी सरकार ने पेड़ काटो सफाई करो अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के तहत मेरे मोहल्ले के पार्क के पेड़Read More →

मित्रता में स्वतंत्रता है धोखे का सवाल ही नहीं उठता

लोग सबसे ज्यादा अपने फ्रेंड्स से धोखा खाते हैं, सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से ऐसा पता चलता है। मुझे मित्रों से कभी कोई प्रॉब्लम नहीं होती। ऐसा नहीं है कि मेरे चिरकुट, स्वार्थी, भक्त, अपढ़, कुपढ़, बांगड़ू टाइप के मित्र नहीं हैं। मिलते ही हैं। एक नजर इधर भीः बौद्धRead More →

बौद्ध धर्म में प्रतीत्यसमुत्पाद और शून्यता क्या है

आप विश्व में जो भी चीज देखते हैं वह इंटरडिपेंडेंट हैं। हेतु और प्रत्यय से बने हैं, उनमें कार्य कारण सम्बन्ध है। उदाहरण के लिए आप एक मकान देखते हैं। उसकी सूक्ष्मता में जाएं। पहले आपको जमीन, क्षत, पिलर्स, दीवारें, प्लास्टर, डिजाइन आदि दिखता है। इन सबको मिलाकर जो चीजRead More →

दूसरे से पाने वाले दुख धोखा और कष्टों का सृजन अक्सर हम खुद करते हैं

तृष्णा, क्लेश, अविद्या। ये दुख की वजहें हैं। काम क्रोध, मोह आदि क्लेश है। क्लेश ही समस्या की वजह है। औसत व्यक्तियों का जीवन काम क्रोध लोभ आदि में बीत जाता है। वह उसी क्लेश के पीछे पीछे भागते हैं कि उसमें सुख है। क्लेश को हटाने से ही सुखRead More →

अनाज फल और सब्जियों पर मनुष्यों ने किया बड़ा अत्याचार

वनस्पतियों में भी जीव है। संवेदना है। भावना है। जाने माने वनस्पति विज्ञानी जगदीश चंद्र बसु का इस पर व्यापक काम है। मानव ने सबसे ज्यादा अत्याचार निरीह फलों और सब्जियों पर किए हैं। फलों, सब्जियों, अनाजों को खा जाना कोई अत्याचार नहीं है। यह तो मध्यमार्ग है। आपके जिंदाRead More →

What is OM MANI PADME HUM?

भारतीय संस्कृति में ओम के उच्चारण का व्यापक असर है. हर शुभ जगहों पर आपको ओम् लिखा हुआ मिल जाता है. ओम नमः शिवाय से लेकर ओम भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं धीमहि धियो योनः प्रचोदयात तक. ओम की व्यापक मौजूदगी है. इसके उच्चारण को सांस से भी जोड़ा जाता है.Read More →

दानव की तरह डकारते हैं नरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी दानव की तरह डकारते हैं. मोदी कहां से टपक आए, हम उनका नाम भी नहीं सुने थे. वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो ठीक थे. उन्हें बोलने तक नहीं आता है. वे पढ़-पढ़कर भाषण देते हैं. जबकि मोदी जी अड़ियल की तरह बात करते हैं। लिखकर पढ़ते हैं,Read More →