विश्व में हर कोई दुख से मुक्ति पाना चाहता है, जिसे दुःख है। यह स्वाभाविक सी इच्छा है कि दुःखों से मुक्ति मिलनी चाहिए। अब इसमें सबसे बड़ी समस्या होती है कि दुःख की पहचान कैसे की जाए? जब भी आप किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाते हैं तो वहRead More →

भगवा क्या है? भारत मे भगवा का क्या महत्त्व रहा है? इस ड्रेस कोड को लेकर भारत मे स्वाभाविक रूप से श्रद्धा क्यों उपजती है?  भगवा के पीछे त्याग, परोपकार, दया करुणा, सद्भाव का लंबा इतिहास बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस….. हर साल कांवड़ियों की हुड़दंगई को लेकर चर्चा होतीRead More →

भारत की तमाम जातियां हिन्दू/सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था से बाहर हैं। इनमें ओबीसी कही जाने वाली 90% जातियां हैं। इन जातियों को पता ही नहीं है कि वह किस वर्ण में हैं? ये जातियां अपने को ब्राह्मण या क्षत्रिय होने का दावा करती हैं तो ब्राह्मण और क्षत्रिय मिलकरRead More →

अल्मोड़ा का भारतीय बैडमिंटन के मौजूदा स्वरूप और चन्द्रलाल का गहरा रिश्ता है। चन्द्रलाल की बैडमिंटन की दीवानगी का रंग अब उनकी तीसरी पीढ़ी 2024 के ओलंपिक में दिखा रही है। बता रहे हैं अशोक पांडे….. अल्मोड़ा से कौसानी के रास्ते में एक अधसोया सा कस्बा है सोमेश्वर. इसी सोमेश्वरRead More →

भारत की मनु भाकर को कांस्य पदक जीतने पर खुशी का माहौल है। वहीं ओलंपिक के शुरुआती इतिहास में महिलाओं को ओलंपिक में एंट्री पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था,बता रहे हैं अशोक पांडे 1896 के साल ओलिम्पिक्स की आधिकारिक शुरुआत करने वाला फ्रेंच शिक्षाशास्त्री और इतिहासकार पीयर द’कूबेर्तांRead More →

अगर आप बेहतर मनुष्य बनने की कोशिश नहीं करेंगे तो पीढ़ियों का संचित धन गंवा देंगे धम्मपद-3

सत्येन्द्र पीएस फरलो मारने में जो मजा होता है, वह बीमार पड़कर छुट्टी लेने में बिल्कुल नहीं होता है। मेडिकल लीव में मजा तभी है जब आपकी तबीयत खराब न हो और ऐसे ही छुट्टी ले लीजिए! ऐसे ही प्यार मोहब्बत का मामला है। प्यार मोहब्बत में झूठ बोलने, परिजनोंRead More →

Dhammapad yamakbaggo part 2

सत्येन्द्र पीएस  चाय बनाना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। एक तो दूध वाला बर्तन खराब होता है। दूसरे, जिस बर्तन में चाय बनाई जाए, उसमें चाय दूध चायपत्ती ऐसा चकठ जाती है कि कहिए मत। चाय के कप और गिलास तो न सिर्फ साफ करना समस्या है, बल्कि उन्हें सहेजकरRead More →

कामनाएं इच्छाएं सोच सबकुछ बदलती रहती हैं यह सब मन से पैदा हुई चीजें हैं धम्म पद-1

सत्येन्द्र पीएस जिंदगी भी बड़ी अजीब है। 15 साल पहले यह फील होता था कि इस पद पर होते, इतनी सेलरी मिलती तो बस मज़ा ही आ जाता। सपने होते थे। अब लगता है कि क्या है यह सब? घण्टा हो गया? क्या मिल गया? यही पाने के लिए व्याकुलRead More →

अपनी चोरी अच्छी और दूसरे की चोरी अन्याय लगती हो तो आप अपने भीतर के बोध की हत्या कर चुके हैं

सत्येन्द्र पीएस एक मेरे परिचित भाई साहब रोजाना कांग्रेस को गरियाते थे। वह कांग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों के प्रति बहुत ही निष्ठुर थे। संभवतः अभी भी होंगे। वह राष्ट्रीय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से बहुत प्रभावित थे। आरएसएस-भाजपा के अलावा वह हर किसी को चोर मानते थे।Read More →

जलाशय की तरह पवित्र और गहरे बन जाइए यही सुख का मार्ग है

कल से ही मोहल्ले में हुआ एक हादसा घूम रहा है दिमाग में। एक अग्रवाल फेमिली है जो जयपुर जा रही थी किसी पारिवारिक उत्सव में शामिल होने। बस का एक्सीडेंट हुआ। पति पत्नी और 15 साल का बेटा उस एक्सीडेंट में मर गए। इंटर में पढ़ने वाली एक बेटीRead More →