दिलीप मंडल के फेसबुक पेज से..
ये सही है कि फूलन देवी ने बेहमई में जिन 21 लोगों को मारा या जिनको मारने का आरोप उन पर लगाया जाता है, वे ठाकुर थे।
लेकिन ये न भूलें कि वह गाँव जिस किसी भी जाति या धर्म का होता, उनकी अपनी जाति का होता तो भी वीरांगना फूलन देवी वहाँ वही करतीं, जो उन्होंने किया।
ये उनके लिए ज़ुल्म और अपमान का बदला लेना था। ये जानना अब संभव नहीं है कि जो मारे गए क्या वे ही वे अपराधी थे, जिन्होंने फूलन देवी पर ज़ुल्म ढाए थे। आत्मसमर्पण के बाद कई सरकारें आईं और गईं पर फूलन देवी पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ।
तर्क के लिए, चलिए मान लेते हैं कि फूलन देवी ने बेहमई में ठाकुरों को मारा।
लेकिन ठाकुर समाज के सबसे मान्यवर लोगों ने क्या फूलन देवी को इसके लिए दोषी माना? क्या कोई कड़वाहट रखीं?
ये न भूलें कि जब फूलन देवी हिंसा और प्रतिहिंसा से थक चुकी थीं और उन्होंने हथियार डालने का फ़ैसला किया तो उनकी शर्त थी कि केस उनपर यूपी में है पर हथियार वे सिर्फ़ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय अर्जुन सिंह के सामने डालेंगी।
अर्जुन सिंह इस मौक़े पर खुद आए और फूलन ने अपनी बंदूक़ उन्हें सौंप दी। फूलन जी मध्य प्रदेश की जेल में पूरी सुरक्षा में रहीं।
अर्जुन सिंह जी ने विश्वास का मान रखा। उनको प्रणाम।
क्या आप फिर भी कहेंगे कि फूलन देवी की ठाकुरों से कोई दुश्मनी थी?
फूलन देवी ने सार्वजनिक जीवन में आने के क्रम में जो शुरुआती सभाएँ कीं, उनमें प्रधानमंत्री वीपी सिंह खुद शामिल हुए। फूलन देवी के माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।
ये कैसा ठाकुर विरोध हुआ?
फूलन देवी जब सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं तो तमाम ठाकुर नेता उनके समर्थन में पहुँचे। लालू यादव ने उनकी पटना में विशाल सभा कराई। तमाम राजपूत नेता उस सभा में मंच पर आए।
उनके मरने पर मुलायम सिंह के साथ ही, सपा के दूसरे सबसे बड़े नेता अमर सिंह ने फूलन देवी की अर्थी को कंधा दिया?
किसी में कोई कड़वाहट नहीं बची थी महोदय। राष्ट्रपति के आर नारायण ने बहुत शानदार शब्दों में उनको श्रद्धांजलि दी।
फूलन देवी ने अपने हिसाब से विद्रोही भूमिका निभाई और बस। सबने यही माना। हम सब चाहेंगे आगे क़ानून और न्याय अपनी भूमिका निभाए और किसी को फूलन देवी न बनना पड़े।
दुनिया की सबसे बड़ी TIME मैगज़ीन ने उन्हें विश्व की सबसे महान विद्रोही महिलाओं में शामिल किया।
वे गुरु रविदास जयंती पर नागपुर में बौद्ध धम्म की छाया में चली गईं।
हथियार डालने तक किसी की हिम्मत नहीं थी कि फूलन देवी को पकड़े। निहत्थी फूलन देवी को एक कायर ने भेदी बनकर मार डाला।
इसमें कोई शौर्य नहीं है।
फूलन देवी किसी जाति की विरोधी नहीं, महान विद्रोहिणी थीं। नमन।