डॉ प्रदीप चौधरी
आयुर्वेदाचार्य
स्पिरिचुअलिटी आजके समय में बहुत चर्चा में रहने वाला शब्द है ।
बहुत से लोग कुछ ना कुछ स्प्रिचुअल एक्टिविटी करते रहते हैं,
विपश्यना ,चिल्ला घसीटना,ध्यान करना इसमें से कुछ हैं ।
कुछ दिन पहले एक कपल मेरे पास आया, वाइफ की शिकायत थी,मेरे पिया मुझसे प्यार नहीं करते। घर के काम में इंटरेस्ट नहीं रखते, सारी बात ठीक है ,ठीक हो जाएगा पर खत्म कर देते हैं ।
पहले लड़ते थे अब एक दम शान्त जो गए हैं,अक्सर ध्यान करते रहते हैं,कहते हैं यही सब जबाब है। अजीब सी मनहूसियत है मेरे घर में। क्या किया जाए?
पति ने एकदम कूल अंदाज़ में जवाब दिया क्या ही करना है।
सब कुछ अनित्य ही तो है?
आप एक बात बताओ मेरी बीबी के अनुसार मुझे मनोरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए?
लेकिन जरूरत इन्हें ही ज्यादा है ।
मामला समझा में आगया था।
मैंने पूछा स्पिरिचुअल बायपासिंग समझते हैं?
जवाब नहीं में मिला ।
स्प्रिचुअल बायपासिंग एक ऐसी तरीका है जिसमे इंसान स्पिरिचुअलिटी का सहारा लेकर ढेरों इमोशनलों से ख़ुद को दूर करने लगता है, मन ही मन सोचने लगता है जो है सब ठीक ही है, जिसमे वह कई बार इमोशनल इश्यूज को एड्रेस ही नहीं करता, प्रेम और लड़ाई भी उसमे से ही है ।
इससे अगर आप अकेले ही हैं तो संतोषम परम सुखम पर मामला चल जाता है, पर पारिवारिक जीवन में ये दिक्कत करने लगता है ।
सब कुछ अच्छा होगा सब कुछ अच्छा होगा, ध्यान से अच्छा होगा, पूजा से अच्छा होगा, यह कई बार सामने वाले के लिए फ्रस्ट्रेटिंग होता है ।
इसलिए यहाँ भी मध्यम मार्ग में रहना अच्छा है ।
सामने से सवाल आया क्या सत्व का बढ़ाना या उसके लिए प्रयास करना डिनायल या स्पिरिचुअल बायपासिंग है?
मैंने फिर समझाने का प्रयास किया ।देखिए ! हमारे शरीर में तीनो होते हैं, सत्व, रजस और तमस ।
और हमको तीनो की ही जरूरत है, कई बार हम ग़लतफ़हमियों में जीते हैं कि हम सत्व में हैं।
बिना रजस के आप कोई काम नहीं कर पायेंगे और बिना तमस के आपको नींद नहीं आएगी शरीर का वियर एंड टियर नहीं ठीक होगा ।
सत्व का काम है रजस और तमस् को नियंत्रण में रखना ना कि खत्म करना ।
सत्व एक अच्छे राजा की तरह होना चाहिए जो जानता सब रहे और सबको आनुपातिक रूप से बैलेंस रखने का प्रयास करे ।
#शतभिषा #shatbhisha