ईमानदारी की ठेकेदारी लेकर सत्ता में आए अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के एक मामले में जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय के पास नहीं गए. उधर प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल सरकार के एक और मंत्री राज कुमार के आवास व कार्यालय पर व्यापक छापेमारी की है.
केजरीवाल को आबकारी नीति से संबंधित धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए 2 नवंबर 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए आने को कहा था.
केजरीवाल जांच के लिएनहीं पहुंचे. जांच अधिकारी को केजरीवाल से 2 पन्नों का पत्र मिला है. उन्होंने जांच एजेंसी से समन वापस लेने को कहा है. उन्होंने समन को अस्पष्ट, राजनीति से प्रेरित और कानून के मुताबिक विचारणीय नहीं बताया.
ईडी मुख्यमंत्री के जवाब की समीक्षा कर रही है. साथ ही केजरीवाल को पूछताछ के लिए नई तारीख देने पर भी विचार हो रहा है.
उच्चतम न्यायालय ने हाल में अभियोजन पक्ष के आश्वासन को संज्ञान में लिया है कि मामले की सुनवाई अगले 6-8 महीनों के भीतर समाप्त हो जाएगी. केंद्रीय एजेंसी ने केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था और वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करने वाली थी. इस मामले में केजरीवाल की पार्टी के सहयोगी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में हैं.
उधर दिल्ली की केजरीवाल सरकार के कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता राज कुमार आनंद के परिसरों और कुछ अन्य स्थानों पर 2 नवंबर को छापे पड़े. राष्ट्रीय राजधानी के सिविल लाइन्स इलाके में स्थित मंत्री के परिसरों समेत एक दर्जन स्थानों पर सुबह 7.30 बजे से छापेमारी की कार्रवाई शुरू हुई.
छापा मार रहे निदेशालय के दलों के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम भी शामिल रही. आनंद के खिलाफ जांच धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत हुई.
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन के अलावा 7 करोड़ रुपये से अधिक की सीमा शुल्क चोरी के लिए आयात की गलत जानकारी देने को लेकर आरोप पत्र दायर किया था. यह जांच इसी आरोप पत्र से जुड़ी है.
एक स्थानीय अदालत ने हाल में डीआरआई अभियोजन की शिकायत पर संज्ञान लिया था जिसके बाद ईडी ने आनंद और कुछ अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया. आनंद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार में सामाजिक कल्याण और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री और पटेल नगर विधानसभा इलाके से विधायक हैं.
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने की भाजपा की साजिश के तहत केजरीवाल गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति होंगे. पार्टी ने कहा था कि ईडी का समन उस पार्टी को खत्म करने का एक प्रयास है जो दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है.
वहीं सरकार के जिम्मेदार लोगों पर आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति से गुटबंदी को बढ़ावा दिया गया. इसे कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया था. इसके बदले कथित तौर पर रिश्वत गई.
आप ने इस आरोप का बार-बार खंडन किया है. बाद में नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उप राज्यपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की सिफारिश की. इसके बाद ईडी ने धन शोधन की रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया.