रस शास्त्र में भगवान शिव को पारद यानी पारा माना गया है

रस शास्त्र में भगवान शिव को पारद यानी पारा माना गया है

भगवान शिव और पार्वती भारतीय चिकित्सा प्रणाली में भी हैं। भगवान शिव पारा हैं और पारा जब गंधक (पार्वती) से मिलता है तो यह अमृत हो जाता है। बता रहे हैं डॉ प्रदीप चौधरी….

आयुर्वेद और सिद्ध चिकित्सा पद्धति के रस शास्त्र में भगवान शिव को पारद माना गया है, और पारद/पारा (मर्करी) कितना खतरनाक है, यह बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन यही पारद जब शोधन और गंधक (पार्वती) से मिलता है, तो अमृत हो जाता है, पूर्व में कट्टर हिंदू बाद में बौद्ध बने रस शास्त्र के असाधारण विद्वान नागार्जुन ने तो यहाँ तक कहा कि अगर मैं रस पर सिद्धि प्राप्त कर लूं तो दरिद्रता और दुर्भिक्ष खत्म कर दूंगा।

तो वो लोग जो शिव के नाम पर भांग,बीड का नशा कर रहे हो,

और उसे शिवमय बता रहे हो, तो ये समझ जाओ, शिव को पहले साधना सीखो।

पर पारद की तरह शिव को साधना कठिन है, शोधन, लोहभेदन,देह भेदन से गुजरना पड़ता है।

भंड होने की तरह आसान नहीं है।

एक बात और जो कहा जाता है कि व्याह करवा दो लड़का सुधर जायेगा तो इसे यहां से भी देख सकते हैं, मर्करी का गंधक से मिलने पर वह जहर से मुक्त हो जाता है, आखिर यही तो प्रेम है।

जब परिवार होगा तो कट्टरता खत्म होगी लेकिन परिवार चल सके इसके लिए रोजगार चाहिए।

हर पारद को गंधक मिले इस कामना के साथ इस शिवरात्रि मेरा जल रोजगारेश्वर महादेव को।

 

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