ओशो रजनीश का कहना है कि संजय गांधी के विमान दुघर्टना के समय इंदिरा ने यह नहीं पूछा कि संजय किस हाल में हैं। इंदिरा गांधी 2 चाभियां ढूंढ रही थीं…
“संजय गांधी बहुत अच्छे पायलट थे। जब उनका विमान उनके घर से थोड़ी ही दूर गया, उसकी दुर्घटना हो गया। थोड़ी ही देर पहले इंजीनियर ने कहा था कि विमान बिल्कुल ठीक था और 5 मिनट में ही दुर्घटना हो गई।
इंदिरा गांधी तत्काल दुर्घटना स्थल पर पहुँच गई। उनका पहला सवाल यह नही था कि संजय गांधी जिंदा हैं कि मर गए। उन्होंने पहला सवाल यह पूछा कि वह दो चाभियां कहाँ हैं?
उंसमे से एक चाभी उन नोटों के खजाने की थी, जो आने वाले इलेक्शन के लिए जमा किया जा रहा था। दूसरी चाभी विपक्ष के करप्ट राजनेताओं से जुड़े फाइलों की थी।
संजय गांधी महत्वाकांक्षी थे। वह राजनेता बनना चाहते थे, इसलिए चाभियां वह हमेशा अपने पास रखते थे।
वह पहले पुलिस स्टेशन गईं, उन्होंने चाभियां लीं और उसके बाद वह हॉस्पिटल में यह देखने गईं कि संजय गांधी का क्या हाल है?”
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यह रजनीश अपने एक भाषण में बता रहे हैं, जिन्हें भगवान और ओशो के नाम से जाना जाता है। उस समय ओशो के बड़े पैमाने पर भक्त थे।
उनके इस भाषण का असर केवल उनके भक्तों पर नहीं पड़ा होगा, बल्कि अन्य लोगों ने सुना होगा। वह भी प्रभावित हुए होंगे। आज भी लोग यह कहते पाए जाते हैं कि इंदिरा गांधी ने ही संजय गांधी को मरवा दिया था।
कौन यह सोचे कि रजनीश की जानकारी का स्रोत क्या था जिसके हवाले से उन्होंने यह फैलाया कि जब इंदिरा गांधी विमान दुर्घटना के स्थल पर पहुंची तो वह चाभी खोज रही थीं।
कौन यह दिमाग लगाने जाए कि संजय अगर मर गए तो चाभी की क्या जरूरत थी, इंदिरा गांधी ताले तोड़वाकर भी वह नोट और फाइल्स निकलवा सकती थीं। क्योंकि वह जानती ही थीं कि फाइल और पैसे कहां पड़े हैं!
कौन यह दिमाग लगाने जाए कि इंदिरा गांधी अगर संजय को मरवाई थी तो सबसे पहले वह ये देखतीं कि वह मरा कि नहीं, क्योंकि अगर संजय मरा नहीं होगा तो चाभी हो या न हो, फाइल और नोट तो उसके कब्जे में ही रहेंगी!
रजनीश को लोग बहुत तार्किक बताते हैं। और मैं उनको एक खूबसूरत लफ्फाज और उसके माध्यम से धन कमाने वाला मानता हूँ, इससे ज्यादा नहीं।