ग्रहों में कुछ योग ऐसे होते हैं जो राज भोगने की ओर ले जाते हैं

पितृसत्ता का जहर वापस आ गया है और इसकी प्रतिशोध की भावना के साथ वापसी हुई

महिला अधिकारों के प्रति उदासीनता को लेकर बढ़ते विरोध के बीच संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने लैंगिक समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए सोमवार को एक दर्जन से अधिक मोर्चों पर कार्रवाई में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जताई। इस बात पर चिंता जताई गई कि बीजिंग प्रतिबद्धता के 30 साल बाद भी कोई देश लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाया। पितृसत्ता का जहर वापस आ गया है और इसकी प्रतिशोध की भावना के साथ वापसी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने 10 मार्च 2025 की बैठक में कहा कि बीजिंग सम्मेलन के तीन दशक बाद भी महिलाओं को उनके अधिकार ‘नहीं दिलाए जा सके हैं’ और कड़ी मेहनत से हासिल की गई उपलब्धियां गंवाई रही है।

संयुक्त राष्ट्र का इशारा कई देशों में प्रजनन अधिकारों के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली पहलों को निशाना बनाए जाने की ओर था। उन्होंने चेताया, ‘पितृसत्ता का जहर वापस आ गया है और इसकी प्रतिशोध की भावना के साथ वापसी हुई है। कार्रवाई पर ब्रेक लग रहा है, प्रगति खत्म हो रही है और यह (पितृसत्ता) नये एवं खतरनाक स्वरूप अख्तियार कर रही है।’ गुतारेस ने कहा, ‘हिंसा, भेदभाव और आर्थिक असमानता जैसी पुरानी भयावहताएं व्याप्त हैं। लिंग के आधार पर वेतन में असामनता अब भी 20 फीसदी है। वैश्विक स्तर पर, लगभग तीन में से एक महिला हिंसा का शिकार हुई है। हैती से लेकर सूडान तक संघर्ष में भयानक यौन हिंसा हो रही है।’

महिलाओं और लड़कियों को बराबरी का दर्जा देने की पैरवी करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख निकाय ‘संयुक्त राष्ट्र महिला’ की वार्षिक बैठक की शुरुआत में अपनाई गई राजनीतिक घोषणा में माना गया है कि लैंगिक समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए पुरुषों और लड़कों की ‘रणनीतिक साझेदारी एवं सहयोग’ अनिवार्य है। सदस्य देशों ने बीजिंग महिला सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के मौके पर इस राजनीतिक घोषणा को सर्वसम्मति से अंगीकार किया।

महिलाओं की स्थिति से जुड़े आयोग की अध्यक्ष ने भी इसे मंजूरी दी। बीजिंग महिला सम्मेलन में दुनियाभर के देशों ने लैंगिक समानता हासिल करने के लिए 150 पन्नों का रोडमैप अपनाया था। हालांकि, यह घोषणा बीजिंग सम्मेलन में अपनाए गए रोडमैप के क्रियान्वयन की दिशा में हुई प्रगति को मान्यता देती है, लेकिन इसमें यह भी माना गया है कि 30 साल की अवधि गुजरने के बावजूद कोई भी देश लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाया है।

देशों की प्रगति बेहद ‘धीमी एवं असमान’ रही है और कई बड़ी खामियों तथा बाधाओं को दूर किया जाना बाकी है। महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर कार्य करने वाली एजेंसी ‘संयुक्त राष्ट्र महिला’ की ओर से पिछले हफ्ते जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि 2024 में दुनियाभर में लगभग एक-चौथाई सरकारों को महिलाओं के अधिकारों के प्रति सुस्त रवैये को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

एजेंसी की नीति एवं कार्यक्रम निदेशक सारा हेंड्रिक्स ने कहा कि आलोचनाओं का सामना करने वाले देशों की संख्या संभवतः कम बताई गई है और यह ‘बढ़ते विद्वेषपूर्ण माहौल’ का संकेत देती है।

गुतारेस कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सहित अन्य नयी प्रौद्योगिकियां हिंसा एवं दुर्व्यवहार के लिए नया मंच तैयार कर रही हैं और ‘महिलाओं के प्रति द्वेष और ऑनलाइन प्रतिशोध के मामलों को आम बना रही हैं।’

गुतारेस ने कहा, ‘इंटरनेट पर मौजूद सभी डीपफेक में से लगभग 95 फीसदी गैर-सहमति वाली अश्लील तस्वीरें हैं। इनमें से 90 फीसदी में महिलाओं को आपत्तिजनक रूप में दिखाया गया है।’ उन्होंने कहा कि 1995 के बीजिंग सम्मेलन में शामिल होने वाले 19 देशों ने 12 क्षेत्रों में साहसिक कार्रवाई का आह्वान किया था, जिनमें गरीबी एवं लिंग आधारित हिंसा का मुकाबला करना, महिलाओं के अधिकारों एवं स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और महिलाओं को व्यापार, सरकार एवं शांति स्थापना के मामले में शीर्ष पर रखना शामिल था।

गुतारेस ने कहा कि बीजिंग सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के किसी दस्तावेजमें पहली बार कहा गया था कि महिलाओं को ‘लैंगिकता सेजुड़े मामलों में,  जिसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य भी शामिल है, बगैर किसी भेदभाव, दबाव और हिंसा के फैसला लेने का अधिकार है।’

उन्होंने महिलाओं और लड़कियों को बराबरी का दर्जा दिलाने का समर्थन करने वाली सरकारों और लोगों से आग्रह किया कि वे ‘आगे आएं और आवाज उठाएं’, ताकि बीजिंग सम्मेलन में जताई गई प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा सके। 10 मार्क्च्च 2025 को अपनाई गई आठ पन्नों की घोषणा में ऋण एवं उद्यमिता तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाने, बच्चों, जरूरतमंदों एवं दिव्यांगजनों की देखभाल के लिए मजबूत तंत्र विकसित कर महिलाओं के अवैतनिक देखभाल कार्य में कमी लाने, पुरुषों को घरेलू जिम्मेदारियों को समान रूप से साझा करने के लिए प्रेरित कर महिलाओं पर घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ घटाने, महिलाओं को प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का लाभ दिलाने के लिए उनके बीच डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने, लड़कियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने और लैंगिक हिंसा रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने के वास्ते ‘ठोस कदम’ उठाने का आह्वान किया गया है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *