टूटी सड़क देख आईपीएस अधिकारी का छलका दर्द, सोशल मीडिया पर की सरकार से अपील

उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन केंद्र नैनीताल के घोड़ाखाल में रह रहे एक दौर के चर्चित आईपीएस अधिकारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रसिद्ध सैनिक स्कूल और ऐतिहासक गोलू देवता मन्दिर की टूटी सड़क का हाल सोशल मीडिया पर बयान किया है। उनका कहना है कि कई साल से सड़क दुर्दशाग्रस्त है और कोई पुरसाहाल नहीं है।

शैलेन्द्र प्रताप सिंह

इधर उधर की लंतरानियाँ तो बहुत सुनाता रहता हूँ , आज घोडाखाडियों का , जिसमें मैं भी शामिल हूँ , दुख दर्द सुनाने का मन कर रहा है क्योंकि कई वर्षों से यहाँ की मुख्य सड़क सरकारी हस्तक्षेप का इंतज़ार करते करते थक सी गयी हूँ ।
तो कहना यह है कि धोडाखाल भवाली का गोलू देवता मंदिर कैंची धाम के बाद नैनीताल के शीर्ष पर्यटन स्थलों में है , प्रतिदिन जहां हज़ारों श्रृद्धालुओं की , पर्यटकों की भीड़ आती हैं पर सैनिक स्कूल के गेट नम्बर एक से मंदिर को जाने वाली करीब 1.5 किमी की सड़क पिछले कई वर्षों से अस्त व्यस्त पड़ी है , धूल उड़ाती गाँव की गलियारा हो गयी है , अपनी सुध लिये जाने की विनती कर रही है पर लगता है न तो किसी को पर्यटन की चिंता है , न धूल से पीड़ित बीमारी का आतंक झेल रही सड़क से गुजरने वाली आम जनता का । हम लोगों के टहलने के इस मार्ग पर घूमते समय बचपन में बैलगाड़ी का धूल उड़ाता गलियारा याद आ जाता है जब तमाम धूल फेफड़ों में घुसती रहती थी ।
घोडाखाल वह मंदिर है जहां वर्तमान मुख्यमंत्री भी आते रहे है , पूर्व के मुख्यमंत्री भी यहाँ आते रहे हैं पर आज ऐसा लगता है कि अभिलेखों में पता नहीं यह कैसा पूजास्थल दर्ज है कि सरकार मंदिर को जाने वाली सड़क के प्रति तमाम वर्षों से उदासीन है ।
वी आई पी लोगों को यह रोड दिखायी नहीं जाती क्योंकि उन्हें सैनिक स्कूल के अंदर बने हैलीपैड से स्कूल की अंदरूनी सड़क से लाया और ले ज़ाया जाता है ।
मंदिर और पर्यटन की छोड भी दी जाये तो यह रोड भवाली को ल्यूसाल , धुलई , घोडाखाल , श्याम खेत , कूड़ आदि गाँवों के साथ साथ घोड़ाखाल के टी स्टेट जैसे एक शीर्ष पर्यटन स्थल को जोड़ने वाली मुख्य सड़क है , जिस पर बड़े बड़े ओहदों को सम्भालने वाले अधिकारियों के भी आवास भी हैं ।
मैं खुद घोडाखाल में रहता हूँ , सड़क की दुर्दशा को यहाँ के आम नागरिकों के साथ रोज़ झेलता हूँ । सो एक नागरिक होने के नाते मेरा यह दर्द सोसल मीडिया के हवाले ।
इस सम्बंध में ज़्यादा कुछ कहना दुष्यंत कुमार के निम्न लाइनों की याद दिलाता है –
मत कहो आकाश में कुहरा घना है ,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।

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