हक्की पिक्की आदिवासी समुदाय के 31 लोक सूडान में फंसे

कर्नाटक के हक्की पिक्की आदिवासी समुदाय के 31 लोक सूडान में फंसे, सरकार ने छोड़ा लावारिस

सूडान में चल रहे गृहयुद्ध में कर्नाटक के हक्की पिक्की आदिवासी समुदाय के लोग फंस गए हैं और सरकार केवल बयानबाजी में जुटी है.

जब अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे, आतंकवादियों ने एक विमान का अपहरण कर लिया. विमान में मौजूद ताकतवर लोगों ने दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया. सरकार हरकत में आई. आतंकवादियों की शर्तें मान ली गईं. खुद विदेश मंत्री जसवंत सिंह अपने विमान में आतंकवादियों को बिठाकर ले गए और बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाकर लाए. लेकिन यह सुविधा गरीबों को नहीं मिल सकती. सूडान में चल रहे गृह युद्ध में कर्नाटक के हक्की पिक्की आदिवासी समूह के 31 लोग फंसे हैं. सरकारी अधिकारी इधर से उधर पत्र भेजने में लगे हैं. केंद्र सरकार कान में तेल डालकर खामोशी से सो रही है. गौरतलब है कि सूडान में 2 गुटों के बीच भीषण लड़ाई चल रही है और दोनों पक्ष तोपखानों, भारी गोलाबारूद और लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे आम नागरिकों की जान सासत में है.

विपक्ष के नेता आक्रोशित

राज्य में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में राजनीतिक दल जोर शोर से इस मसले को उठा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के मुख्यमंत्री रहे सिद्धरमैया ने 18 अप्रैल 2023 को केंद्र सरकार से इन फंसे आदिवासियों को वापस लाने की मांग की है.

क्या कर रही है राज्य सरकार

राज्य सरकार इस मामले में कुछ खास कर भी नहीं सकती. उसका कहना है कि केंद्र सरकार को पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है. कर्नाटक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आयुक्त मनोज राजन का कहना है, ‘‘हमें कर्नाटक के रहने वाले 31 लोगों के सूड़ान में फंसे होने की जानकारी मिली है. हमने इसकी सूचना विदेश मंत्रालय को दे दी.’’

भारतीय दूतावास के निर्देश का पालन करें

कर्नाटक के आपदा प्रबंधन विभाग ने फंसे हुए लोगों से कहा है कि वे सूडान में मौजूद भारतीय दूतावास के निर्देशों का पालन करें. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने परामर्श में कहा है कि फिलहाल जो लोग फंसे हैं वे जहां हैं, वहीं रहें और बाहर नहीं निकलें. विदेश मंत्रालय को मामले की जानकारी दी गई है, मामला केंद्र के संज्ञान में है.

विपक्ष हमलावर

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर भारत सरकार को मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की ताकि फंसे हुए इन लोगों को भारत लाया जा सके. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जानकारी मिली है कि कर्नाटक के हक्की-पिक्की आदिवासी समूह के 31 लोग सूड़ान में फंस गए हैं जहां पर गृह युद्ध जारी है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री, विदेशमंत्री और मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई से अपील करूंगा कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें.’’ सिद्धरमैया ने कहा कि हक्की-पिक्की आदिवासी समूह के लोग सूडान में फंसे हैं और कई दिनों से बिना भोजन के हैं लेकिन सरकार ने अबतक उन्हें वापस लाने की पहल नहीं की हैं.

सूडान कहां है

सूडान अफ्रीकी देश है. 2011  में दक्षिण सूडान के अलग होने तक यह अफ्रीका का सबसे बड़ा देश था. अफ्रीका के उत्तर पूर्व में स्थित इस देश की सीमाएं 7 देशों से लगती हैं.

संघर्ष में 100 से ज्यादा मरे

सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच जारी संघर्ष में 18 अप्रैल 2023 तक की सूचना के मुताबिक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.  1100 लोग घायल हुए हैं. आम नागरिक अपने अपने घरों में छिपे हैं. खबरों के मुताबिक बिजली आपूर्ति बाधित है और उनके साथ लूटपाट हो रही है. इस दौरान गोली लगने से एक भारतीय नागरिक की भी मौत हो गई है.

सूडान में क्यों हो रहा है संघर्ष

सेना के कमांडर जनरल अब्देल फतह बुरहान और रैपिड सपोर्ट फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच विवाद चल रहा है और उनके कमांड में आने वाली फोर्स एक दूसरे को खोजकर मार रही है. 2019 में 3 दशक से शासन कर रहे राष्ट्रपति उमर अल बशीर को हटा दिया गया था, तभी से संघर्ष जारी है, जिसने अब भयानक रूप ले लिया है.

पहले साथ थे अभी लड़ रहे जनरल

जनरल बुरहान और जनरल डगालो पहले साथ थे. दोनों में समझौता हुआ कि चुनाव से पहले सेना नागरिक राजनीतिक समूहों द्वारा नियुक्त लोगों के साथ सत्ता साझा करेगी और 2023 के अंत तक चुनाव कराए जाएंगे. लेकिन बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट किया. जनरल बुरहान और जनरल डगालो ने सत्ता अपने हाथ में ले ली. चुनाव कराने को लेकर सहमति नहीं बनी और उसके बाद से दोनों की लड़ाई में सूडान की जनता पिस रही है.

रैपिड सपोर्ट फोर्स क्या है

सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स का गठन 2013 में हुआ था. सेना से अलग यह मजबूत फोर्स है. अब सूडान में अस्थिरता में इसकी मुख्य भूमिका हो गई है. यह जंदावीद विद्रोही संगठन के रूप में सामने आई थी. इसने दारफुर में विद्रोहियों के खिलाफ कठिन लड़ाई लड़ी और इस पर बड़े पैमाने पर नृशंस हत्याओं के आरोप लगे.

तब से लेकर अब तक जनरल डगालो ने अपना एक शक्तिशाली सुरक्षा संगठन तैयार कर लिया. इसने यमन और लीबिया के संघर्षों में भी दखल दिया. सूडान में सोने की कई खान पर नियंत्रण कर इस संगठन ने अपना अलग आर्थिक साम्राज्य बना लिया है. इसमें करीब एक लाख सैनिक हैं.

सेना की क्या स्थिति है

तीन दशक से सत्ता पर काबिज अर बशीर को राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए 2019 में विरोध प्रदर्शन चल रहे थे. उसके बाद सेना ने तख्ता पलट कर दिया. नागरिकों ने लोकतंत्र बहाली का अभियान जारी रखा. सेना व नागरिकों की संयुक्त सरकार भी बनी, लेकिन अक्टूबर 2021 में तख्तापलट कर सेना ने इसे खत्म कर दिया.

दोनों पक्ष नागरिक हित के दावेदार

जनरल डगालो कुलीन वर्ग के खिलाफ और आम लोगों के पक्ष में दिखने की कवायद में कह रहे हैं कि 2021 का तख्तापलट गलती थी. वहीं सेना प्रमुख जनरल बुरहान का कहना है कि निर्वाचित सरकार को ही सत्ता का हस्तांतरण किया जाएगा. वहीं दोनों पक्ष के समर्थक अपनी कमाई और रुतबे को लेकर चिंतित हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

सूडान में स्थिति की जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर  जारी किए गए हैं. लगातार 24 घंटे काम करने के लिए नियंत्रण कक्ष बनाया गया है.  हेल्पलाइन नंबर 1800118797, +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905, +91 9968291988 हैं.

 

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