सुसाइडल टेंडेंसी आती है... जब हम अपने जीवन का मूल्य नहीं समझते

सुसाइडल टेंडेंसी आती है… जब हम अपने जीवन का मूल्य नहीं समझते

आजकल सुसाइड, सुसाइडल टेंडेंसी और डिप्रेशन के मामले आम हो गए हैं. जो व्यक्ति जितना सफल है, वह उतना ही भावुक है. वह उतना ही अकेला है. ऐसे में छोटे छोटे झटकों में वह हारता दिखता है. इससे कैसे बचा जा सकता है, बता रहे हैं सत्येन्द्र पीएस…

 

आज एक केस सुनकर बहुत आहत हूं. एक लड़की का प्रेम करीब 7-8 साल तक चला और उसके बाद बिगड़ गया. स्वाभाविक है कि ऐसे में निराशा आती है, क्रोध आता है, बदले की भावना आती है…. और सुसाइडल टेंडेंसी आती है.

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क्रोध और बदले की भावना का चरम हत्या में कनवर्ट होता है. इससे भी खतरनाक होता है भावनात्मक रूप से टूटना. इससे उपजी निराशा सुसाइडल टेंडेंसी लाती है. ऐसा लगता है कि जिंदगी बची ही नहीं. अब क्या करें, कहां मुंह दिखाएं. जिसको चाहा वही लूट लिया. दिल ही टूट गया…. अब जीकर क्या करें.

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फिल्म वाले भी बड़े दोखी टाइप हैं. गजल वाले तो और ज्यादा. अजीब अजीब गाने लिखकर पहले से दुखी व्यक्ति को और ज्यादा डिप्रेशन में भेज देते हैं.

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पहली चीज कि अगर आपने प्यार किया है तो उसमें डिप्रेशन, निराशा और बदले की कोई जगह ही नहीं है.

मैंने एक रोज ज्ञान दिया था कि अगर आप अपनी पत्नी से रोजाना सेक्स करते हैं तो जिंदगी के 2-3 सेक्स ऐसे यादगार होते हैं कि उसमें आप आदर्श खोजते हैं और उसे ही हासिल कर लेना चाहते हैं. मेरा अनुभव रहा है कि यह सुख लंबे संस्कारों से मिलता है. जब आप पति पत्नी लंबे समय तक लड़े नहीं होते हैं… दोनों ही एक समान मूड में होते हैं आदि आदि…

प्यार इससे कहीं महान चीज है. वह अद्भुत है. उसमें तो एकाध पल ऐसे होते हैं, जो खुशी पाने के लिए आप हमेशा इंतजार में रहते हैं कि काश वैसा सीन नए सिरे से क्रियेट हो जाता. ऐसे में अगर आप किसी के साथ लव में रहे या लिव इन में रहे तो उस 8-10 साल की जिंदगी में कुछ पल तो आए होंगे, जो आपको हमेशा गुदगुदाते रहते हैं? याद करें. पक्का आया होगा ऐसा पल.

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चलिए इसको भी छोड़ते हैं. क्या आप अपने आपको इतना बेवकूफ समझते हैं कि आपको 10 साल तक बेवकूफ बनाया गया है? नहीं भाई…. आप बेवकूफ नहीं हैं. आपने 10 साल अपने मुताबिक जिंदगी जी है. अब वह रास्ता बदला है, 10 साल की आपकी जिंदगी कहीं खो नहीं गई है. उस जिंदगी की उजली यादों को अपने साथ रखिए और फिर कुछ नया सृजन करिए. आप उस मोड़ पर जिंदगी को छोड़कर नए रास्ते पर चलने की तैयारी में हैं. हर दुर्घटना आपको एक नया रास्ता दिखाती है… नई सीख देती है… नए दोस्त देती है…. यह मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं.

आइए आज पुनर्जन्म के माध्यम से जिंदगी की बात करते हैं. बुद्धिज्म में भी पुनर्जन्म अलाउड है. इसलिए ज्यादा फनफनाने की जरूरत नहीं है कि मैं संघी हो गया हूं. आपको पता है कि कोई जीव 84 लाख योनियों में जा सकता है. आप बंदर बन सकते हैं, चूहा बन सकते हैं. गाय बन सकते हैं, घोड़ी बन सकते हैं. यानी किसी भी रूप में आप धरती पर आ सकते हैं. उस वक्त आपकी इतनी क्षमता नहीं होती, जितनी अभी है. इसके अलावा आप नरक में जन्म ले सकते थे. प्रेत बन सकते थे. म्लेच्छ बन सकते थे. लंबी उम्र वाले देव लोक में जन्म ले सकते थे. या शारीरिक अक्षमता के साथ जन्म ले सकते थे. किसी युद्ध या अभाव वाले देश में जन्म ले सकते थे.

अगर इस बुरी अवस्था में आप रहते तो आपकी क्या हालत होती. नरक, प्रेत या पशु के रूप में जन्म लेते तो तमाम दुखों के साथ उसी में फंसे रहते. म्लेच्छ होते तो समझ ही न पाते कि क्या उचित है क्या अनुचित है. देवता ही बन जाते तो उसी मस्ती में हजारों साल उलझे रहते और कितनी मोनोटोनस होती जिंदगी. अगर किसी अभाव और युद्धग्रस्त देश में पैदा हो गए होते तो कितने तबाह रहते. अगर विकलांगता लेकर जन्म लेते तो उसकी अलग पीड़ा रहती.

अगर इन सबसे मुक्त जीवन आपको मिला है तो उस जिंदगी को थैंक्स बोलिए. आप अपने बचपन को थैंक्स बोलिए. किशोरावस्था को थैंक्स बोलिए, स्टडी पीरियड को थैंक्स बोलिए कि उस समय आपके मन में कैसे कैसे खयाल आते थे, आपको कितनी पीड़ाएं मिलीं… उसके बावजूद आप बने हुए हैं.

इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है कि आप हैं? अगर आपके मन में जरा सा भी बुरा खयाल आ रहा है तो सीधा सा मतलब है कि कहीं न कहीं केमिकल लोचा है और आपको नए सिरे से अपने बारे में ध्यान करने की जरूरत है कि आपकी जिंदगी कितनी अनमोल है. अभी एक मच्छर को मारने जाइए तो देखिए कि किस तरह वह अपनी जान बचाकर भागता है. हर जीव, जिसे आप नासमझ कहते हैं, उसे ऐसा बोलने की शक्ति नहीं है, जितनी आपमें है वह भी अपनी जिंदगी बचाने की कोशिश करता है. वह अपनी जिंदगी का मोल समझता है. वहीं आप मनुष्य होकर अगर जिंदगी को कहीं भी किसी भी मोड़ पर व्यर्थ समझने लगे हैं तो यह समझिए कि आप मच्छर जितने भी समझदार नहीं हैं….

आपने जो जिंदगी अब तक जी है, कहीं न कहीं से वह आपकी मर्जी के मुताबिक ही रही है. आगे आप थोड़ी सी कोशिश और करें तो उससे बेहतर जिंदगी बाहें फैलाए खड़ी है.

अगर इतने से ज्ञान न मिला तो अनुभूति के स्तर पर ध्यान की जरूरत है. यह सब फील करने की जरूरत है कि आप अपने लिए ही नहीं, मेरे लिए भी कितने कीमती हैं. आप यह भी सोच सकते हैं कि मैं अगर इतनी झंड जिंदगी लेकर अड़ा हुआ हूं तो आप क्यों नहीं?

#भवतु_सब्ब_मंगलम

 

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