सत्येन्द्र पीएस जब साहित्यिक संगोष्ठियों में जाता हूँ तो कुछ हवा ही नहीं लगती कि विद्वतजन कहना क्या चाहते हैं! सच बताऊं तो कुछ समझ में ही नहीं आता है साहित्य वगैरा। अज्ञेय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बैठा हूँ। अज्ञेय मेरे प्रिय लेखकों में हैं। उनका लिखा हुआ नागार्जुन के लिखेRead More →