नितिन त्रिपाठी “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना से प्रेरित भारत का परंपरागत समाज और आधुनिक अर्थव्यवस्था आज द्वंद्व में खड़े हैं। एक ओर ‘विविधता, समानता और समावेश’ की अवधारणा को पश्चिम से आयातित कर अपनाने की होड़ लगी है, तो दूसरी ओर ‘मेधा, उत्कृष्टता और बुद्धिमत्ता’ की नीति अपनी राहRead More →