बैंकॉक/नई दिल्ली, 11 नवंबर 2025 (एजेंसी): थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुटिन चारनविराकुल ने कंबोडिया के साथ मलेशिया में हुए शांति समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह फैसला सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट के बाद लिया गया, जिसमें चार थाई सैनिक घायल हो गए। इस घटना ने न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित इस समझौते की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। समझौते के तहत 18 कंबोडियन सैनिकों की रिहाई भी रुक गई है, और सीमा पर सैन्य गतिविधियां बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
विवाद का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद चला आ रहा है। यह विवाद मुख्य रूप से 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान तैयार की गई मानचित्र पर आधारित है, जिसे कंबोडिया मान्यता देता है, जबकि थाईलैंड इसे पुराना और अचूक बताता है। सीमा पर प्राचीन मंदिरों, खासकर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रेाह विहर मंदिर के क्षेत्र को लेकर दोनों देशों में राष्ट्रीय भावनाएं भड़कती रही हैं।
पिछले दशकों में कई सैन्य झड़पें हुई हैं, जिनमें 2025 की जुलाई में पांच दिनों की सबसे घातक टकराव शामिल है। इस संघर्ष में कम से कम 40 लोग मारे गए और दो लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आक्रमण का आरोप लगाया। इस सीमा पर लैंडमाइन्स की समस्या भी पुरानी है, जो मुख्य रूप से 1970-80 के दशक में कंबोडिया के गृहयुद्ध के दौरान बिछाई गईं। जुलाई में भी एक लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हुए थे, जिसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ कूटनीतिक संबंधों को डाउनग्रेड कर दिया था।
ट्रंप समर्थित शांति समझौता: मलेशिया की भूमिका
जुलाई के संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने थाई और कंबोडियन नेताओं से फोन पर बात की और चेतावनी दी कि यदि संघर्ष नहीं रुका तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार वार्ता आगे नहीं बढ़ाएगा। ट्रंप ने इसे अपनी वैश्विक व्यापार युद्ध नीति का हिस्सा बताया। 28 जुलाई को अमेरिका और मलेशिया की मध्यस्थता से प्रारंभिक युद्धविराम हुआ।
इसके बाद अक्टूबर के अंत में मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में थाईलैंड के पीएम अनुटिन चारनविराकुल और कंबोडिया के पीएम हुन मानेत ने ‘कुआलालंपुर शांति घोषणा’ पर हस्ताक्षर किए। यह समारोह ट्रंप और मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम की उपस्थिति में हुआ। ट्रंप ने इसे अपनी सात ‘युद्ध समाप्ति’ उपलब्धियों में से एक बताया। समझौते की मुख्य शर्तें थीं:
- सीमा से भारी हथियारों की वापसी।
- लैंडमाइन्स हटाने के प्रयास।
- तनाव कम करने के उपाय।
- 18 कंबोडियन युद्धबंदियों की रिहाई, जिसकी वार्ता बुधवार से शुरू होनी थी।
ट्रंप ने इसे पूर्ण शांति संधि करार दिया, हालांकि यह वास्तव में जुलाई के युद्धविराम की पुष्टि मात्र थी। थाई पीएम अनुटिन ने हस्ताक्षर के समय इसे ‘शांति की दिशा में ठोस कदम’ बताया था, जबकि कंबोडियन पीएम हुन मानेत ने ‘पूर्ण प्रतिबद्धता’ जताई।
लैंडमाइन विस्फोट: घटना का विवरण
10 नवंबर 2025 को सुबह करीब 9:30 बजे थाईलैंड के सिसाकेट प्रांत में सीमा पर एक ‘नियमित गश्त’ के दौरान लैंडमाइन फटा। चार थाई सैनिक घायल हुए: एक सैनिक का दाहिना पैर कट गया, जबकि अन्य तीन को पैर में छर्रों के घाव और छाती में दबाव से चोटें आईं। थाई सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल विंथाई सुवरी ने कहा कि यह विस्फोट एक सामान्य रूट पर हुआ, जहां 9 नवंबर को कांटेदार तार हटाए गए थे। थाईलैंड ने कंबोडिया पर नई लैंडमाइन्स बिछाने का आरोप लगाया, जो समझौते का उल्लंघन है।
रक्षा मंत्री नट्टापॉन नार्कफैनिट ने कहा कि जांच से पुष्टि होने पर थाईलैंड कड़ा कदम उठाएगा। थाई सुप्रीम कमांडर जनरल उकरीस बूटानोंधा ने फेसबुक पर कहा, “सभी समझौते तब तक रुकेंगे जब तक कंबोडिया स्पष्ट रूप से शत्रुता न छोड़े।”
प्रतिक्रियाएं: थाईलैंड का कड़ा रुख, कंबोडिया का इनकार
थाई पीएम अनुटिन ने पत्रकारों से कहा, “सब कुछ रुक जाना चाहिए। जो शत्रुता हमने कम हुई समझी थी, वह कहीं गई ही नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बरकरार है।” उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। थाई वायुसेना ने सभी समझौतों को निलंबित करने की घोषणा की। 18 कंबोडियन सैनिकों की रिहाई अनिश्चितकाल के लिए टल गई।
कंबोडिया ने आरोपों को सिरे से खारिज किया। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने नई लैंडमाइन्स नहीं बिछाईं और कभी नहीं बिछाएंगे।” रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल राथ दारारोथ ने कहा, “हम अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और थाईलैंड के साथ सहयोग के लिए तैयार हैं। स्थिति शांत है।” कंबोडिया ने थाईलैंड के निलंबन फैसले पर ‘गहरी चिंता’ जताई। मलेशिया की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ट्रंप की ओर से कोई तत्काल बयान नहीं आया, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह उनकी मध्यस्थता को झटका है। ट्रंप ने इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया था, लेकिन अब दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
संभावित प्रभाव: नया तनाव या वार्ता की गुंजाइश?
यह निलंबन सीमा पर सैन्य जमावड़े को बढ़ावा दे सकता है, खासकर प्रेाह विहर क्षेत्र में। दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित हो सकता है, और अमेरिका-एशिया व्यापार वार्ता पर असर पड़ेगा। हालांकि, कंबोडिया ने वार्ता जारी रखने की इच्छा जताई है। यदि जांच से आरोप सिद्ध नहीं हुए, तो समझौता बहाल हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बिना स्थायी सीमा निर्धारण के शांति कठिन है।
यह घटना दक्षिण-पूर्व एशिया की नाजुक भू-राजनीति को उजागर करती है, जहां पुराने विवाद नए वैश्विक दबावों के बीच उभर रहे हैं। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संबंधों पर नजर बनी हुई है।

